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UP: पूर्वांचल की 27 सीटों पर मुकाबला, क्या राजनीतिक ‘कद’ से टूटेगी जातिगत ‘सीमा’?

UP: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पांच चरण पूरे होने के बाद अगले दो चरण का चुनाव पूर्वांचल क्षेत्र में होना है. छठे और सातवें चरण में 27 लोकसभा सीटों पर राजनीतिक दलों की परीक्षा होनी है. आखिरी चरण में PM Modi के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लेकर CM Yogi Adityanath के गृह क्षेत्र गोरखपुर तक जहां सियासी कद के जरिए पूर्वांचल की जातीय सीमाओं को तोड़ने की अग्निपरीक्षा होगी, वहीं SP प्रमुख Akhilesh Yadav को फिर से आजमगढ़ सीट अपने नाम करनी होगी. एसपी की किटी के साथ-साथ इस क्षेत्र में उनके पीडीए फॉर्मूले का लिटमस टेस्ट भी। BSP प्रमुख मायावती के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी का राजनीतिक आधार बचाए रखना है.

2019 में मोदी लहर में भी बीजेपी पूर्वांचल में अपना एकछत्र राज कायम नहीं कर पाई. SP – BSP गठबंधन के चलते बीजेपी को पूर्वांचल की आधा दर्जन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. पूर्वांचल क्षेत्र की 27 लोकसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 18 सीटें जीत सकी जबकि सहयोगी अपना दल (एस) को 2 सीटें मिलीं. एसपी-बीएसपी गठबंधन 7 सीटें जीतने में सफल रहा, जिसमें 6 सीटें बीएसपी और एक सीट एसपी के खाते में गई. हालाँकि, SP ने बाद में जीती हुई आज़मगढ़ सीट खो दी। ऐसे में अब देखना होगा कि पूर्वांचल के सियासी संग्राम में किसका किला बचता है और किसका नहीं?

UP: पूर्वांचल की 27 सीटों पर मुकाबला, क्या राजनीतिक 'कद' से टूटेगी जातिगत 'सीमा'?

छठे चरण में UP की 14 और सातवें चरण में 13 सीटों पर वोटिंग

लोकसभा चुनाव के छठे चरण में उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 25 मई को मतदान है, जबकि सातवें चरण में 13 सीटों पर 1 जून को मतदान है. छठे चरण में सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, प्रयागराज, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही में चुनाव हैं। सातवें चरण में वाराणसी, गोरखपुर, मिर्ज़ापुर, चंदौली, घोसी, ग़ाज़ीपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, सलेमपुर, बलिया और रॉबर्ट्सगंज सीटों पर 1 जून को वोटिंग है.

2019 के चुनाव में बीजेपी पूर्वांचल क्षेत्र में अपना एकछत्र राज कायम नहीं कर पाई. SP – BSP गठबंधन के चलते बीजेपी को पूर्वांचल की सात सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. छठे चरण में अम्बेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज और जौनपुर सीटें BSP ने जीतीं जबकि आज़मगढ़ से SP ने जीत हासिल की। सातवें चरण में गाजीपुर और घोसी सीटें BSP के खाते में गयीं. तब एसपी-बीएसपी दोनों साथ थे, लेकिन इस बार दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. एसपी-कांग्रेस एक साथ मैदान में उतरे हैं, जबकि बीजेपी ने ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और संजय निषाद की निषाद पार्टी से हाथ मिलाया है.

UP की जिन 27 लोकसभा सीटों पर आखिरी दो चरणों में चुनाव होना है, उनमें से 24 सीटों पर बीजेपी, दो सीटों पर अपना दल (एस) और एक सीट पर राजभर की पार्टी का उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है. वहीं, SP ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार चार सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा टीएमसी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. पूर्वांचल में ओबीसी, दलित और ऊंची जाति के वोटर बेहद अहम भूमिका निभाते हैं, जिनके दम पर राजनीतिक पार्टियां अपनी सियासी बिसात बिछा चुकी हैं.

पूर्वांचल की राजनीति ओबीसी के इर्द-गिर्द केंद्रित है

पूर्वांचल की राजनीति ओबीसी के इर्द-गिर्द केंद्रित है. माना जाता है कि इस पूरे इलाके में जिस भी पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोट बैंक मिल जाएगा, उसकी जीत तय है. 2017-2022 के विधानसभा और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पिछड़े वर्ग का अच्छा समर्थन मिला. नतीजा यह हुआ कि वह केंद्र और राज्य की सत्ता पर मजबूती से काबिज हो गयी. ऐसे में बीजेपी और एसपी दोनों पार्टियों ने इस बार ओबीसी वोटों को साधने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. ऐसे में BSP ने भी पूर्वांचल के सियासी समीकरण को देखते हुए अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

एसपी ने अपने कोटे की 22 लोकसभा सीटों में से 14 सीटों पर गैर-यादव ओबीसी और चार सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा एक यादव, एक मुस्लिम, एक ब्राह्मण और एक राजपूत उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस ने अपने कोटे की चार सीटों पर एक-एक दलित-ओबीसी-भूमिहार और एक ठाकुर उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इस तरह SP मुखिया Akhilesh Yadav ने पीडीए फॉर्मूले के तहत पूर्वांचल में सियासी बिसात बिछा दी है. इंडिया अलायंस मायावती की राजनीतिक कमजोरी का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश में है.

PM Modi की नजरें लगातार तीसरी बार जीत पर

वहीं, पूर्वांचल में बीजेपी ने ओबीसी जाति आधारित पार्टियों से हाथ मिलाकर सियासी समीकरण दुरुस्त करने की चाल चली है. PM Modi खुद हैट्रिक लगाने के लिए काशी के रण में उतरे हैं तो सीएम योगी का गृह जिला गोरखपुर है. बीजेपी अपने बड़े चेहरों के साथ सहयोगियों की भी जमीन परखेगी. अपना दल (एस) मीरजापुर और रॉबर्ट्सगंज से चुनाव लड़ रही है। वहीं घोसी में सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को मैदान में उतार रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि जातीय शतरंज की बिसात पर टिकी पूर्वांचल की सियासी जमीन पर किसका पलड़ा भारी रहता है.

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